ऋतुराज सयाने !
ऋतुराज सयाने !
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आम्र मंजरी, लता वल्लरी
पुष्पित गंधित पुष्प सुहाने
खेलत, मधुमेलत ,मदमस्त है गाते
मधुकर हर्षित चहुँ दिशा गुंजाने।
मांदल, ढपली, तुरही बजती
और ढोलक पर थाप सुहानी
आई हुलसाती टोली तब,
मन रंगने, तन, राग सजाने।
तेजपिन्ड आतप चमकीली
मलय सुगंधित पवन सजीली
दिशा दिशा सज्जित कुसुमाकर
चपल तरंगित चंचल सुख कर,
शीत शरद की व्यथा भुलाने
तपस महोत्सव ऋतुराज सयाने।
