रक्षा-बन्धन
रक्षा-बन्धन
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रक्षा की डोर
होती है
बधनं से,
वादे के साथ
आता है
जुड़े हुए बंधन से,
जब खुशियाें की बात
करते हैं तो काम आते हैं
भाई-बहन के रिश्ते नाते,
जिस तरह पतगं
बिना मांजा अधूरा,
उसी प्रकार भाई-बहन
बिना रिश्ता अधूरा।