पुस्तक
पुस्तक
मां ने कहा बच्चे से तुमको आज कोई तोहफ़ा दूं,
मन करता मेरा तुम को मैं पुस्तक ला दूं।
बडे़-बड़े कवि, सुरदास, कबीर, अमृता प्रीतम
और वारिश वाह, बुल्ले से परिचय करा दूं ।
बोला यूं बच्चा मां से क्या करूंगा पुस्तक का मैं,
अलमारी पूरी भरी पड़ी है पढ़ने का समय नहीं है।
वैसे भी तो सब कुछ आनलाइन है मिल जाता
चाहे हो सूरदास, चाहे कबीर या हो प्रीतम अमृता।
क्यों पैसे बर्बाद करो मां नेट पे सबकुछ इन करो मां,
घंटों कौन बैठ पढ़ेगा, नेट से ही ज्ञान बढ़ेगा ।
समझाया तब बच्चे को मां ने ज्ञान नहीं है पुस्तक जैसा,
क्या बीता, क्या हो रहा है इसमें सब ज्ञान मिलेगा ।
हल्की-भारी पुस्तक होती, ज्ञान की ये खान होती,
संतों की वाणी इसमें होती , अंधेरे मन में जलाएं ज्योती।
नई खोज, नई सोच पुस्तक से मिलती, हास-परिहास,
मनोरंजन के भंडार में रखती, हो परेशान मन या
ना हो कोई संगी -साथी साथ पुस्तक हमारा मन बहलाती,
आओ बने हम पुस्तक के साथी।
