पसन्द
पसन्द
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लोगो को छुपा हुआ खजाना
ही पसन्द आता है,
जो असानी से प्राप्त हो जाए
उसमे मज़ा नहीं आता है,
जो इधर -उधर भटकता हैं
मिलने के लिए वह सामने
नहीं आता है,
सालों-साल बीत जाते हैं वह
या तो बदल जाता है या
आगे बढ़ जाता है,
जो न मिले उसको भूल जाना
ही समझ आता है,
बेवकूफ़ बनाने वाला बेवकूफ़
बन जाता है खेलने वाला
खेल कर चला जाता है।