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हरीश सेठी 'झिलमिल'

Children Stories

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हरीश सेठी 'झिलमिल'

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पृथ्वी

पृथ्वी

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सब ग्रहों में 

अदभुत 

ग्रह हमारा है

पृथ्वी पर।


जैवमंडल 

बहुत प्यारा है

जीवन केवल

सम्भव इस पर ही

सब प्राणियों का  

सहारा है।


वनस्पति, खनिज

धरती ही देती है

बदले में 

बहुत ही कम लेती है

वसुंधरा, धरा 

पर्यायवाची शब्द 

कहलाते हैं। 


जमीन, धरती भी

 समानार्थी

बताए जाते हैं

अपने अक्ष के

 चारों ओर 

घूमे तो

परिभ्रमण गति 

कहलाती है।


सूर्य के

 चारों ओर 

घूमे तो

परिक्रमण 

बताई जाती है।


अब तो

पर्यावरण की चिंता 

खूब सताती है

ग्लोबल वार्मिग 

बढ़ती जाती है

पानी भी

 डार्क जोन में 

चला गया है।


इसका संकट भी 

गहरा गया है

1970 में था 

विश्व अर्थडे मनाया

1992 में

रियो डी जेनेरो में 

सम्मलेन करवाया।


22 अप्रैल को 

विश्व पृथ्वी दिवस मनाया

आओ मिलकर 

पर्यावरण को

सुंदर बनाएँ।


पृथ्वी को 

भविष्य के 

खतरों से बचाएँ।।


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