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Pawanesh Thakurathi

Children Stories

3  

Pawanesh Thakurathi

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परियों के देश में

परियों के देश में

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माँ मुझको पहुंचा दे, 

तू परियों के देश में। 

मैं भी उतरना चाहता हूँ अब, 

अजब-अनोखे वेश में। 


देख ज़रा-सा मेरी ओर, 

पढ़-पढ़ के कैसा थक चुका हूँ। 

पैरट-पैरट कहते-कहते, 

खुद रट्टू तोता बन चुका हूँ। 

अब करूँ मैं दौड़ा-भागी, 

तितलियों के संग ताका-झांकी, 

लगाऊं सितारे केश में।

माँ मुझको पहुंचा दे, 

तू परियों के देश में। 


दोस्त जब छेड़े मुझको, 

पल में चूहा बना दूँ उनको। 

दादा-दादी रूठें तो, 

छड़ी घूमा मना दूँ उनको।

करूँ मस्ती, धूम-धड़ाका, 

पंछियों के संग सैर-सपाटा। 

रहूँ सदा ही मैं मुस्काता, 

आऊँ ना कभी आवेश में। 

माँ मुझको पहुंचा दे, 

तू परियों के देश में।। 



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