परियों के देश में
परियों के देश में
माँ मुझको पहुंचा दे,
तू परियों के देश में।
मैं भी उतरना चाहता हूँ अब,
अजब-अनोखे वेश में।
देख ज़रा-सा मेरी ओर,
पढ़-पढ़ के कैसा थक चुका हूँ।
पैरट-पैरट कहते-कहते,
खुद रट्टू तोता बन चुका हूँ।
अब करूँ मैं दौड़ा-भागी,
तितलियों के संग ताका-झांकी,
लगाऊं सितारे केश में।
माँ मुझको पहुंचा दे,
तू परियों के देश में।
दोस्त जब छेड़े मुझको,
पल में चूहा बना दूँ उनको।
दादा-दादी रूठें तो,
छड़ी घूमा मना दूँ उनको।
करूँ मस्ती, धूम-धड़ाका,
पंछियों के संग सैर-सपाटा।
रहूँ सदा ही मैं मुस्काता,
आऊँ ना कभी आवेश में।
माँ मुझको पहुंचा दे,
तू परियों के देश में।।
