*परीक्षा*
*परीक्षा*
पल पल मन की आवाज़ ऐसे आने लगी।
एग्जाम खत्म होने और परिणाम की चिंता सताने लगी।
लिखने की जब बारी आई ,
हाथो में क्रम नाचने लगी।
कोरे पन्नों पर उत्तरो की वह ईबारत लिखने लगी।।
तेईस को शुरू हुआ परीक्षा का सफर अगली तेरह को समाप्त होने हुआ ।
एग्जाम को जाता देखकर,
मन कुछ हर्षित कुछ भयभीत हुआ।।
याद है वह ऑटो की सवारी,
दोस्तों की संगत होती थी सारी।
काली नीली कलमें पेंसिल जेब मेरी में होती थी बहुत सारी।।
एग्जाम की समाप्ति पर दिल यू खुश हो मचलने लगा था।
आज बोझ उतरा मन में खुशियों का मेला लगने लगा था।।
पर ये मेला कुछ दिन का था,
अब इंतजार परिणाम का था।
सुनहरे भविष्य की जद्दोजहद और अच्छा करियर बनाने का था।
