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Aarti Ayachit

Others

5.0  

Aarti Ayachit

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प्रेम-स्नेह प्रतीक रक्षाबंधन

प्रेम-स्नेह प्रतीक रक्षाबंधन

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प्यारी सी उस तकरार का बंधन है ये

भाई-बहन के प्यार की बंधी डोर, 

रिश्ते की डोर इसका ना कोई है मोल 

और ना ही कोई छोर।


नोक झोक और लड़ाई,

छेड़-छाड़ और थोड़ी सी छींटाकशी

इस बंधन का जो है मोल

इस दुनिया में है वह सबसे अनमोल।


रक्षा का है बहन को वो वादा

राखी का वो रेशमी धागा,

रंग इसके भर देवें खुशियां

भाई बहन की प्यारी सी वो दुनिया।


डोर के दो सिरों का वो जोड़,

दोनों के बंधन का है अटूट तोड़

छिपना-छिपाना,

भाई बहनों का एक दूसरे को खूब सताना।


मीठी-मीठी सी तकरार का

और ये बंधन है एक प्यार का

एक बात भूल ना जाना

यह बंधन उन जवानों के संग भी निभाना

सरहद पर है देश के खातिर

ताकि आवे ना कोई दुश्मन भीतर।


बहन का उस भाई के लिए इंतजार,

पर पूरा द

ेश है उसका परिवार

सूनी ना छोड़ो उनकी भी कलाई,

जिसने बस रक्षा की शपथ निभाई।


कर दे नाम शगुन का कुछ भाग

उनके भी नाम,

जो हंसते-हंसते हो गए हैं

देश पर कुर्बान।


भाई-बहन के प्रेम-स्नेह का प्रतीक

यही रक्षा बंधन का है त्योहार

सुबह सुबह घर में बहन भाई के पसंद की

मिठाइयां बनाती राखी की थाली

सजा रोली अक्षत नारियल कुमकुम संग। 


भाई की तिलक कर उसका माथा सजा

उतार आरती भाई की कलाई पर राखी का

रक्षाकवच बांध भाई को खिला मिठाई

अपने स्नेहाशिष से बरसाती प्यार

भाई बहन को प्यार भरे उपहार

भेंट स्वरुप दें वचन है देता उसकी रक्षा करने का।


माता-पिता भाई-बहन को देते हैं

आशीर्वाद रक्षाबंधन पर कोशिश करना

बच्चों प्रेम-स्नेह का त्यौहार सदैव ही मनाए

यूं ही परस्पर प्रेम से साथ रहकर।


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