प्रेम का दिया
प्रेम का दिया
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कान्हा तुम्हें पा लिया मैनें
एक प्रेम का दिया जलाए
सांझ-सवेरे मोहन मेरे
मुझे भक्ती रस में भिगाए
मोहित तेरी छवी मुरलीधर
मयूरपंख मस्तक पर सजाए
तेरे-मेरे प्रेम का दीप संजोयें
देखो कुछ तुफ़ानों के साए।
