SANGEETA Bhaskar

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फूल गुलाब

फूल गुलाब

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औरत है फूल गुलाब

कई रंगो से रंगी उसकी जिंदगी,

हर रंग को खूबसूरत बनाती है,

अपनी मुस्कुराहट से औरत,

औरत है फूल गुलाब

साज श्रृंगार कर, पालन हार बन,

घर को स्वर्ग बनाती औरत

अपने कोमल हाथों से सख्त रिश्ते निभाती औरत

औरत है फूल गुलाब

चूड़ी पायल की खन खन से मीठा राग सुनाती,

मेहँदी आलता से घर के भाग्य जगाती औरत

औरत है फूल गुलाब

परवाह नहीं कांटों की हर दर्द सह बन गई सीता सतयुग में

जहर पी कर बन गई मीरा,

राधा बन कर किया प्रेम,

तो उर्मिला बन जली पति विरह में,

औरत है फूल गुलाब

चाहे जितना मसलों फिर भी खुशबू ही फैलाती हैं औरत,

औरत के आंसुओं को पानी समझने की भूल ना करना

ये वो तेजाब है जो दर्द में निकले तो सब जला दे

और खुशी से निकले तो खुद जल जाए,

औरत है फूल गुलाब।



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