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Udbhrant Sharma

Others

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Udbhrant Sharma

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फाँसी

फाँसी

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चौथाई सदी पहले
फूल से कोमल,
गंंध जैसे सूक्ष्म,
एक अति संवेदनशील,
चिड़िया की भोली चहचहाहट की तरह मुक्त
क्षण की
बीच चौराहे पर
हत्या की गई थी
एक क्रूर
भयानक, काले और नंगे
तानाशाह
अति यथार्थ द्वारा!
रक्त फैला
सड़क से संसद तक
आत्मा ने की
मुख़बिरी
रक्तकणों ने विद्रोह।
समय के जल्लाद ने
उसी चैराहे पर
उसी जगह
तानाशाह को
फाँसी दे दी
करोड़ों आँखों
के समक्ष

 


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