STORYMIRROR

Anand Shekhawat

Others

3  

Anand Shekhawat

Others

पाती तुम्हारे नाम की

पाती तुम्हारे नाम की

1 min
272

जिन्दगी की उधेड़बुन में,

न जाने क्यों 

भूल जाता हूँ तुम्हारी यादों को,

यादों के उन तमाम वादों को।


एक बिखरी सी सुबह जब 

सो कर जागता हूँ,

तुम्हारी एक झीनी सी तस्वीर,

नजर जो आती है,


आती है उसी के साथ वो 

गर्म कॉफ़ी और लजीज नाश्ता,

और नाश्ते के साथ नेक इरादों को।


तुम होती तो हो उस पल में,

पर पोहे में सिर्फ मूंगफली

के दाने सी,

जो चाहिए मुझे पोहे से भी ज्यादा,

मैं क्यों भूल जाता हूँ उन

हसीन लम्हों को,


जिनमें खाने से ज्यादा,

चाहिए उपस्थिति तुम्हारी,

बस वही एक एहसास मुझे,

चाहिए हर पल और हर क्षण में।


जिन्दगी की उधेड़बुन में ,

न जाने क्यों भूल जाता हूँ तुम्हें,

मानता हूं गुनहगार तो हूँ मैं 

आपकी तन्हाई का,


पर सजा दो तुम मुझे प्यार से,

है कबूल सब ज़ख्म,

लेकिन चाहिए सभी आपके साथ में ,

उन खुशनुमा लम्हों की याद में।


हर पल आपकी यादों का,

ही तो मुझ पे साया है,

आपके साथ बीते हर एक पल को,

इस दिल ने खुद संजोया है।



Rate this content
Log in