Anita Mishra
Others
पास बैठो दिखाऊँ तुम्हें
पीला बसन्त,
रंग-बिरंगी तितलियों
से सजी ये धरती ,
भौरों के गुंजन से
गुंजरित होता चमन ,
कितना सुखद अहसास है
बताओ भा रहा है न तुम्हें ये वसंत।
आखिर क्या है ...
पहली नजर
नन्हीं सी परी
सुनो तो ।
समय की धार को...
मन से मन तक
अहसास ही तो ह...
गुलाबी खत।
आ गया बसंत
तेरी आस में