पांचवीं पास !
पांचवीं पास !
मैंने जो ठान लिया
वो कर लिया,
था बड़ा ही मुश्किल
नहीं था मगर नामुमकिन
मां ,,,,,,,
हर पल तू सामने रहती
गूंजते रहते कानों में
तेरे ही शब्द -
"जिन्दगी में कभी पीछे न हटना" !
उन्हीं शब्दों ने
बांधे रखा मुझको,
तेरी अनपढ़ बेटी
बन गई लेक्चरर !
तब तू बड़े गर्व से कहती
"मेरी बेटी तो पढ़ाती है काॅलेज में"
लोग बड़े अचंभे से पूछते
पांचवीं पास ?
काॅलेज में ,,,,, कैसे ?
वो ऐसे कि पूरा किया उसने
संकल्प अपना
मेरी पांचवीं पास बेटी
पढ़-लिखकर बन गई डाॅक्टर
सिर ऊंचा कर दिया मेरा !