Prashant Beybaar
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ये शीत शान्त सी मंद हवा
ये चीं चीं करते खग-खगा
इस भोर में आनंदित होकर देखो
ओ ! सूरज के आगे जगने वालों
कभी नयी भोर में उठ के देखो।
लोग बैठे हैं ...
हौसला
फूल दिल तक़दी...
प्यास हूँ सहर...
कार के शीशे म...
ऐसे भी ग़म होत...
कोई तदबीर हो ...
जागी पलकों पे...
मीलों की दूरी...
आँखों में जो ...