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नुपूर

नुपूर

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नुपूर मेरे....

भावों के

भीतर छिपे गहराई में

पैरों के खट खट खट ...आहट पर

मौन शब्दों में झन झन झन..


नुपूर मेरे..

सिसकते लम्हों में

अपनी ही तन्हाइयो में दबकर

टूटे सपनों के सरर सरर सरर .. हवा में

मौन शब्दों में झन झन झन...


नुपूर मेरे....

दोषी नहीं उन पंक्तियों का

जो शब्दों में समा चुके

समय के टिक टिक टिक ... आवाज़ में 

मौन शब्दों में झन झन झन.....



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