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Shubhangi Dupte

Others

4.5  

Shubhangi Dupte

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"नन्हे के पेट का सवाल है "

"नन्हे के पेट का सवाल है "

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नन्हे के पेट का सवाल है

और तुम कहते हो के क्या बवाल है

वो तो नन्ही सी जान

इस जहाँ का नन्हा सा मेहमान

उसे क्या पता

रोटी के लिए भी देना पडता है दाम

भूक मिटाने वास्ते

करना पडता है काम

अरे जिसे अपनी भी ना खबर

उसे दुनिया की क्या खबर

जिसने अब तक यह जहाँ भी न देखा

पैसा क्या है उसे क्या पता

भूक से तडपता है वो

रोटी के लिए तरसता है वो

ऐसे ही एक रोज

रोटी के लिए तरसते तरसते अपनी जान गंवा देता है वो

न जाने इस दुनिया में ऐसे कितने नन्हे है

भूक से तरसकर जिनकी जान जाती है

नन्हे के पेट का सवाल है

और तुम कहते हो के क्या बवाल है।


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