निराली प्रेम कथा-संयोग
निराली प्रेम कथा-संयोग
यारों कुछ ऐसा बना संयोग,
कि मैंने पढ़ी एक पुस्तक संयोग,
थी बेहद निराली, बेहम उम्दा,
अविश्वसनीय प्रेम कथा,
जिसको पढ़ कर एक बार तो
मैं ख़ुद हुआ प्रेम में मंत्र मुग्ध,
थी सराबोर प्रेम रस से
वो रहस्यमयी कहानी,
पर थी वो कहानी
अविश्वसनीय,अकल्पनीय।
एक तेज़ हवा के झोकों के
साथ यूं आगे बढ़ी,
जो मेरे मन और मस्तिष्क को
रोमांटिक कर गई,
यश यादव जी की लेखनी से था
मैं बेहद हतप्रभ और अचंभित,
खुद को जोड़ बैठा मैं
उस रोमांटिक कहानी का करेक्टर,
कुछ यूं प्यार से सराबोर थी,
ये प्रेम कहानी,
ना जाने क्यूँ मुझे याद दिला गयी
मेरी बिछड़ी प्रेम कहानी,
शुक्रगुज़ार हूं स्टोरी मिरर का,
जिसने संयोग से ही सही,
पर संयोग पढ़ाने का मौका दिया।
यश जी ने भी हर शब्द खू़बसूरत
मोती की तरह पिरोया,
कम शब्दों में अपनी इस
प्रेम कथा को अमर है बनाया।
