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नींद में जीवन

नींद में जीवन

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जन्म के समय
आँखें थीं बन्द मगर
जाग रहा था मैं
आँखें खुलते ही
आने लगी
नींद
नींद में ही जीवन
अन्ततः जगे
विस्फारित आँखें
मलते, हिलाते हाथ
मुँह बिसूरते
लपकते प्रकाश-गति से
श्याम विवर में
होते अदृश्य।

 


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