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SANJAY SALVI

Others

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SANJAY SALVI

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नदिया

नदिया

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बहती नदिया बहता पानी

झरनो से  खिलखिलता पानी

टेढ़ी मेढ़ी उछलती कूदती

दूर दूर तक नदिया बहती


खेत खलिहान और बाग बगीचे

सब है प्यासे इस नदिया के

कहीं छूती मस्जिद गुरुद्वार

तो कहीं घाट और कहीं मंदिर


पेट में इसके पलती मछलियाँ

सिने को चीरती है कश्तियाँ

कहीं गाँव और कहीं शहर में

झुमती बहती है मस्ती में

यह तो है जीवन की सरिता

पानी अक्सर बहता रहता...



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