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Shalini Shalu

Others

2.5  

Shalini Shalu

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नारी

नारी

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नारी तू जब-जब हारी,

बनकर रह गई

बस बेचारी।

 

तेरा क्रन्दन सुनती,

ये दुनिया सारी,

दहेज में लिपटी,

तेरी लाचारी॥

 

कैसे छुडाऊं दुनिया से,

दहेज की घिनौनी बीमारी,

घेरे बैठी नागिन सी,

दहेज की महामारी।

 

नारी तू रो रोकर हारी,

वरना पड़ती सब पे भारी,

मत बढ़ा अपनी लाचारी,

दुनिया है बड़ी अत्याचारी॥

 

लूट रही तिनका-तिनका,

लालच की है बड़ी बीमारी,

नारी तू फैला ले डैने (पंख)

उड़ने की है तेरी बारी।


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