नादान पौधा
नादान पौधा
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नन्ना-सा ,एक छोटा-सा ,
टहनी बड़ी, मगर कोमल-सा,
अकेला मनोहर पौधा,
तेज हवाओं में ,वो झूला झूले,
कभी इधर कभी उधर,
क्रीडा ललाम बड़ी सुहावनी,
बारिश में वो नृत्य करे,
मगर माली ठहरा क्रुर-सा,
पौधा उसे नापसंद करे,
बांध दिया उसने उसको,
मोटी-सी एक डंडी से,
हो गया बेचारा कैदी-सा,
पकड़ा-सा कोई भेदी-सा,
कैसे हवाओं में वो झूमे,
कैसे धरती को वो चूमे ,
पल-पल पुरानी यादें,
मन में एक विद्रोह करें,
मगर बड़ा हुआ जब पौधा,
माली से क्यों प्रेम करें?
माली से बहुत प्रेम करें।