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Kamlesh Malik

Others

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Kamlesh Malik

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न होने दो खंडहर

न होने दो खंडहर

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अपने घर को

सुन्दर बनाए रखना

चाहते हो तुम

तो तुम्हें उसे सुदृढ़

बनाने के लिए चौकन्ना रहना होगा

खिड़कियाँ दरवाजे मजबूत हों

कहीं से सीलन न आये

मत फूटने दो

अपने भवन की दीवारों में

वे जंगली अंकुर

जो कल को

फैल कर अपने नाखूनों से

तुम्हारे भवन को ढहा दें

नहीं तो देख लो जाकर

उन घरों को

जो आज खण्डहर हो गये हैं।


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