मेरी बेटी
मेरी बेटी
मेरे पिताजी कहा करते थे
तुम मेरी बेटी नहीं बेटा हो,
क्योंकि उनका कोई
बेटा नहीं था।
पर मैं तुम्हें बेटी ही कहूँगी
तुम्हारे बेटी होने के अस्तित्व को
क्यों नकारूँ
क्यों तुम्हें याद दिलाऊँ
कि तुम्हारा भाई नहीं है
जब कोई मुझे तुम्हारी
माँ कहकर पुकारता है
तो मेरा सीना
गर्व से फूल उठता है।
मेरी आँखों में माँ की तरह
आँसू नहीं आते
जो जीवन भर बेटे के लिए
तड़पती रही।
पत्थर की मूर्तियों पर
सर पटकती रही
मेरी आँखे तो चमक उठती हैं,
यह देख कर
कि तुमने मेरे वे सपने
जो मैंने खुली आँखों से देखे थे,
साकार कर दिए।
मेरी कल्पनाओं को वे पंख दिए
जिनसे मैं आसमान में उड़कर
जमीन से जुड़कर
बहुत सारे रंगो को
अपनी बाहों में भर लेती हूँ।
तुम्हारे जीते हुए पुरस्कार
मैंने काँच की अलमारियों में
सजा रखे हैं।
अभी तो तुम्हें और ऊपर
और ऊपर
शिखर तक जाना है।
मैंने आशाओं के बहुत से दीप
जला रखें हैं
लेकिन आसमान में ऊँची उड़ान
भरने को आतुर
बहुत सी बेटियों की
खामोश चीखें, माँ की कोख में,
मौत का जामा पहन
अपना कफन सी रही है
उन्हें बचाने के लिए
एक यज्ञ हो रहा है
तुम जैसी सभी बेटियों से
आग्रह है
इस यज्ञ में सम्मिलित हो,
उन्हें बचा लो।