एक और गाँधी
एक और गाँधी
एक बार फिर
गुजरात की पवित्र भूमि में
जन्म लिया है।
एक और गाँधी ने
उस मोहन दास गाँधी ने
बना लिया था सब को अपना दास
मोह लिया था जन-जन को
सत्य और अहिंसा का
जादू दिखा कर
उसके स्वर में स्वर मिला कर
बन गया था जन-जन
उसकी सेना का सिपाही
और पा लिया था लक्ष्य स्वतंत्रता का
अपना सर्वस्व दाँव पर लगा कर
किन्तु……
बिखर गये सपने
स्वतंत्र भारत के
गरीबी उन्मूलन के
रोजगार प्राप्ति के
जाति, वर्ग-भेद समाप्ति के
स्वच्छ, सुदृढ़, सशक्त देश के
आज फिर एक गाँधी-
एक नरेन्द्र मोदी
नर-नर के लिए
हर नागरिक के लिए
सपना बन कर उतर आया है
भारत-भू पर
जिसकी सादगी, सच्चाई और परिश्रम का करिश्मा
छा गया है।
सात समुन्दर पार तक
सभी के दिल और दिमाग पर
बँध गये सभी विश्वास की डोर से
एक बार फिर जगी है
एक आशा की किरण
उन बिखरे सपनों को समेटने की
सहेजने की
आज फिर एक गाँधी
अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन है,
आह्वान है सभी को
इस यज्ञ में अपनी-अपनी आहुति दें
और बाँध लें उस अश्व को
जकड़ रखा था जिसने
हमारे सम्मान को
संकल्प को
ऊर्ध्वगामी आकांक्षाओं को
समृद्धि और क्षमताओं को
अब वह समय आ गया है
गूँज उठे हमारा विजय घोष
दसों दिशाओं में।