इक्कीसवीं सदी में
इक्कीसवीं सदी में
1 min
7.0K
डायन कह कर उसे
छड़ियों से मारा
खींच कर उसके बाल
नीली बना दी खाल
आँखें उसकी पथराई
प्यास से जीभ बाहर आई
पति को खाकर
वह डायन कहलाई
कभी उसकी बिगड़ी
मानसिक दशा को देखकर
भूत का नाम दिया
कब कटेगा यह अन्धा जाल
खड़ा है यह सवाल
क्यों कह रहे हो तुम ?
कि हम जा रहे हैं
इक्कसवीं सदी में
अरे तुम तो बह रहे हो
अंधविश्वासों की अंधी नदी में
इस मोतियाबिन्द को आँखों से हटाओ
सच्चाई का ध्वज ऊँचा फहराओ।
सपनों में जीना छोड़ो
कल्पना का पीछा छोड़ो
पहाड़ अब ऊँचे नहीं
नदी अब गहरी नहीं
जीवन की गाड़ी अब
पहले सी ठहरी नहीं
आज नई भोर है
दुनिया में शोर है
कि भारत अब चार कदम
सूरज की ओर है।