मुस्कुराहट
मुस्कुराहट
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बड़ी मुश्किल से आता
बिना रुके पल भर में चला जाता,
जब कभी आता
खुशियां साथ लाता।
जरूरत होती पहले इसकी
ग़म को कर आगे
न जाने क्यों खुद बाद में आता।
शायद इसकी किस्मत ऐसी
बिना ग़म के न पहचान इसकी।
खुद कर इज्जत गम की
लेता उससे पहचान।
जी भर जी अपना पल
छोड़ दामन खुशियों का।
लिपटता गम से जिस पल
दुख बन आंसू बहते।
आंखों से गम झरते रहते।
