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Aniket Kirtiwar

Others

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Aniket Kirtiwar

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मुन्नी

मुन्नी

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वो आई थी धरा पर 

खिलने के लिए। 

जिसने बोया था उसको, 

उसे रूबरू मिलने के लिए। 


अनजान थी दुनिया से, 

अनजान थी लोगों से, 

झगड़ रही थी वो, 

अपने ही पहचान के लिए। 


वो समय आया जब, 

रखा गया उसका नाम। 

मुन्नी मुबारक हो तुम्हें, 

ये हसीन और सुहानी शाम।


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