Aniket Kirtiwar
Others
वो आई थी धरा पर
खिलने के लिए।
जिसने बोया था उसको,
उसे रूबरू मिलने के लिए।
अनजान थी दुनिया से,
अनजान थी लोगों से,
झगड़ रही थी वो,
अपने ही पहचान के लिए।
वो समय आया जब,
रखा गया उसका नाम।
मुन्नी मुबारक हो तुम्हें,
ये हसीन और सुहानी शाम।
मुझे बताओ
अच्छा हुआ
अच्छा हुआ...
उसे क्या पता....
तेरे बिना
ये दुनिया
बदनसीबी कि ह...
मैं खुश हूं ब...
मुन्नी
यह दिन