मुक्तक
मुक्तक
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पलकें शिव खोल दें तो जग जाती धूप है ।
शिव की छवि ही ब्रम्हांड का स्वरूप है ।
आप से निवेदन माँ नेत्र से हटा लें कर ,
भोले आँख मूंद लें तो दुनिया कुरूप है।