मुक्ति
मुक्ति
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भुजे भक्ति करने को जन्म दिया
मैं कैसे मांगूं मुक्ति
मुझे भजन करने को स्वर है दिया
मैं कैसे करू भक्ति
तेरा पार न पाऊं, में बली बली जाऊं
तुझ से मांगू शक्ति
अवसर जन्मजन्म ही मनाऊं
दर्शन को दो दृष्टि
स्तुति करूं में भक्ति चाहूं
भक्ति का सुख ही मुक्ति।
