गुरु
गुरु
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गुरुवर मार्ग दर्शाईये आज
विपदा आज खड़ी है द्वार
सूझे नही किस पथ जाऊं
संसार में में सार न पाऊं।
गिरिधर मीरा ने पायो
विष को उसने अमृत बनाया
उस गिरिधर को केसे पाऊं
संसार में सार न पाऊं ।
शबरी ने राम दर्श को पायो
भले ही जूठे बेर ही खिलायो
ऐसी भक्ति कहां से लाऊं
संसार में सार न पाऊं।
