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Anita Sudhir

Children Stories

4  

Anita Sudhir

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मोह

मोह

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मोह बंधन है साँसों का

मोह बिना जीवन नीरस

मोह गुण है

मोह अवगुण है

प्रेम निस्वार्थ है

प्रेम त्याग है।


बारीक सी रेखा दोनों को 

विभक्त करती हुई

मर्म जान जो जाए 

जीवन सफल हो जाये।


प्रेम की आसक्ति मोह

मोह सीमा में ममत्व,

अधिकता में दुर्बलता

प्रेम की अट्टालिका

की नींव है मोह।


प्रेम और मोह साथ 

निभाते जीवन भर

मोह स्वयं में समाहित

दायरा बढ़ता 

परिवार, समाज,

धर्म तक फैलता

राष्ट्र से मोह उत्पन्न।

 

राष्ट्र भक्ति की अलख जगाता 

वसुधैव कुटुम्बकम 

मानव धर्म का पाठ पढ़ा 

निराकार, निस्वार्थ प्रेम 

को जन्म दे जाता है।


धृतराष्ट्र का पुत्र के 

लिए मोह

राजा हरिश्चन्द्र का 

पुत्र के लिए प्रेम

यही अंतर मानव जाने 

यहीं पहचाने।


प्रेम यदि दिव्य है 

तो मोह क्या विष है।


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