मंजिल
मंजिल
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मंजिल मिलेगी
तू हिम्मत का हाथ पकड़
घबराता क्यों है ?
कदम बढ़ाने से ,
राह का साथ पकड़
मंजिलें मिलेगी
तू हिम्मत का हाथ पकड़
बेखौफ हो जा
तू सच के साथ हो जा
डर ना किसी बात से,
छोड़ अंधविश्वासों की डगर
मंजिलें मिलेंगी
तू हिम्मत का हाथ पकड़
जिंदगी इम्तिहान लेगी हर घड़ी
भटकायेगी राहों पर से संवादों की लड़ी
तू चमकेगा हीरा बनके,
लगेगी जितनी रगड़
मिलेगी मंजिल
तू हिम्मत का हाथ पकड़।