मम्मी देखो न
मम्मी देखो न
मम्मी देखो न
ये चाँद टुकुर टुकुर तकता है
मुँह से तो कुछ न बोले
पर मन ही मन ये हँसता है
चैन से मुझ को सोने नहीं देता
खुद सारी रात चलता है
मम्मी देखो न
ये चाँद टुकुर टुकुर तकता है
इसको भी चपत लगाओ
खूब ज़ोर से डांट लगाओ
मुझको नींद आती है
फिर ये सारी रात जगता है
मम्मी देखो न
ये चाँद टुकुर टुकुर तकता है
ये नहीं स्थिर मन का मन का
कभी घटता कभी बढ़ता है
कभी आकाश में छुप जाता है
मुँह से तो कुछ न बोले
पर मन ही मन ये हँसता है
मम्मी देखो न
ये चाँद टुकुर टुकुर तकता है