मिट्टी का रँग
मिट्टी का रँग
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मैं रहती हूँ जिस देश में ,
है उसका नाम भारत ,
जिसमे विभिन्न तरह के लोग हैं ,
और विभिन्न भाषाओं के वाचक।
यहाँ इतने मौसम खिलते हैं ,
हर मौसम का रँग निराला है ,
जिनमे खोने को दूर - दूर से ,
विदेशी सैनानियों का बोलबाला है।
मेरे भारत की भूमि पर ,
पत्थर भी पूजे जाते हैं ,
और हर पत्थर के देवी - देवता ,
अपना चमत्कार दिखाते हैं।
कभी मिलना हो यहाँ के वासियों से ,
तो बेझिझक चले आना
इस भारत भूमि की मिट्टी का रँग ,
अपने कदमों पर भी चढ़ा जाना।