महफूज़ रख
महफूज़ रख
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कुछ बातों को अबूझ रख।
अपने रिश्ते को महफूज़ रख।
कौन है अपना कौन पराया,
पहचानने की सूझ -बूझ रख।
लोगों के कहने का क्या डर,
बेतुकी गुफ़्तगू मत कनफूस रख।
तेरे मेरे बीच क्या दरमियाँ,
मत अपने में एक -दूज रख।
माना की तू नास्तिक है "उड़ता "
कुछ तो अपनी आस्था की पूज रख।
