shikha rani
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इस जिंदगी के सफर में,
अब ना चल सकूँगी,
मेरी ख़्वाहिश थी,
आसमां को छुने की,
अब ना उड़ सकूँगी,
ये जिंदगी में अब थक चुकी हूँ।
क्या, क्यो किस से कहूँ?
जो समझ न पाया मेरे अश्क
उस से मैं क्या कहूँ
रावण अब भी है
नवरूप तुम्हार...
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चलो आज लिखूं,...
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