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Krishna Khatri

Children Stories

4  

Krishna Khatri

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मेरे पापा

मेरे पापा

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पापा ,,,,,,,,,

मैंने माँ को नहीं देखा 

हां देखा तो होगा 

मगर याद नहीं मुझको

छोड़ गई थी माँ

इक नन्हीं-सी गुड़िया को 

इस दुनिया में अकेला

जिसको तुमने ,,,,,,,

माँ बनकर पाला-पोसा 

परवान चढ़ाया  

उसके जीवन को 

सींचा अपने परिश्रम भरे  

स्वेदकणों से से  

आकर दिया तुमने 

उसके वजूद को 

आधार बने तुम 

उस गुड़ियारूपी बिरवे का 

पढ़ा-लिखाकर 

हर तरह से 

काबिल बनाया 

स्वतंत्रता देकर 

जीने का अंदाज़ सिखाया 

पापा ,,,,,,, 

मैं कितनी महफूज़ हूँ अव

तुम्हारी छत्रछाया में 

दुनिया की हर सर्दी-गर्मी से

तुम बचाते हो मुझको 

पापा ,,,,, 

तुम मेरे बरगद हो

छांव तुम्हारी 

सुरक्षा-कवच है मेरा !

ओ मेरे पापा !

       


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