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Prem Bajaj

Others

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Prem Bajaj

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मैनें जीना सीख लिया

मैनें जीना सीख लिया

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हाँ ,मैंने जीना सीख लिया ..........

मैंने खुद के लिए जीना सीख लिया।

मैंने खुद के लिए लड़ना सीख लिया।    

दिया सहारा सबको सदा ही,

अब खुद का सहारा बनना सीख लिया

हाँ मैने जीना सीख लिया

थामा था मेरा हाथ जिसने ,

मँझधार में ला के छोड़ दिया,

कभी डोलती , कभी सँभलती ,

लहरों से लड़ना सीख लिया ,

हाँ मैंने.................

बहुत चढ़ी सूली पे औरों की खातिर,

अब अपने लिए औरों को भी

सज़ा देना सीख लिया।

अब तक तो रहती थी सहमी-सहमी,

अब दुर्गा सी हुँकार भरना सीख लिया ।

हाँ मैंने खुद.................

अब तक अपना हक था खोया,

अब खो कर पाना सीख लिया,

चलते -चलते पीछे सदा,

अब आगे भी चलना सीख लिया ।

अब तक तो औरों की आँखो से देखी दुनिया

अब अपनी आँखो से देखना सीख लिया ।

हाँ मैने खुद...............

क्या-क्या खोया अब तक मैंने उसका कोई हिसाब नहीं ,

अब मैंने भी हिसाब लगाना सीख लिया ।

मैं अदब हूँ.... ..मैं इज़्ज़त हूँ.........

मैं सँसार की रचयिता हूँ,

मैं कुदरत की इक सुन्दर रचना हूँ,

ये समझाना सीख लिया, 

खुद को साबित करना सीख लिया।  

हाँ ,मैंने खुद के लिए जीना सीख लिया ।


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