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Archana Verma

Others

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Archana Verma

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मैं कुछ भूलता नहीं

मैं कुछ भूलता नहीं

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मैं कुछ भूलता नहीं ,मुझे सब याद रहता है

अजी, अपनों से मिला गम, कहाँ भरता है।

 

सुना है, वक़्त हर ज़ख़्म का इलाज है

पर कभी कभी कम्बख्त वक़्त भी कहाँ गुज़रता है।


मैं अब बेख़ौफ़ गैरों पे भरोसा कर लेता हूँ

जिसने सहा हो अपनों का वार सीने पे , वो गैरों से कहाँ डरता है।

 

बुरी आदत है मुझमें खुद से बदला लेने की

जब आती है अपनों की बात,तो खुद का ख्याल कहाँ रहता है।


मैं कुछ भूलता नहीं ,मुझे सब याद रहता है।

 

 



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