माँ -पापा का साथ
माँ -पापा का साथ
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याद बहुत आता है, मेरे माँ-पापा का साथ,
वो सन्डे की सुबह और वो पूड़ी-छोले का स्वाद ।
पापा के साथ शतरंज खेलता छोटा भाई और
कभी टेबल टेनिस, बैडमिंटन में दीदी का एक और ट्राई।
कभी खेलते साथ और कभी लेते इम्तिहान, मेरे पापा,
माँ बीच-बीच में झाँक लिया करती थीं,
खाना लग गया है, डाँटा ना करो की
हिदायत दिया करतीं थीं ।
आज वो मीठी यादें उमड़ घुमड़ आती हैं,
पापा की सब सीख मन में दुहरा कर जाती हैं ।
कितना सहज -सरल रह पाते थे,
सारी मुश्किलों को छुपा जाते थे ।
हम बच्चों को बेहतर दे पाने को,
एक टीम बन कर खेल रहे थे ।
हमारे बचपन के थैले में दुलार,
क़ायदों के साथ यादों के मोती भर रहे थे।।
याद बहुत आता है माँ -पापा का साथ
और बचपन की वो अनगिनत याद ।।