मां की स्मृति में
मां की स्मृति में
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(8 फरवरी, 2016)
मां से मोहब्बत और मोहब्बत से मां
किसी के हाथों में, स्पर्श में, खाना बनाने में, स्वाद में,
सदा रहती है
कौन कहता है मां नहीं रही !
किसी के चेहरे में, मुस्कान में, खूबसूरती में, सदा झलकती है
कौन कहता है मां नहीं रही !
किसी की बातों में, सलाहों में, बोलचाल में सदा महकती है
मां तो, मां है
सदा ही रहती है
आंखों से छलकती है
बस यादों के झरोखों से सुनहली किरणें बनकर
सदा बरसती है।
