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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Others

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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

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मां के विभिन्न रूप

मां के विभिन्न रूप

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भक्तो की सरकार लगी है ,माता दरबार

बोलो जय माता की।।

ऊंच ;नीच का भेद नही

सब माँ की है संतान बोलो जय 

माता की।।

माँ को भक्तो से दरकार नही और कोई सरोकार बोलोजय माता की।।

नही चाहिये रुपया पैसा

कीमती उपहार केवल भक्तों की

जयकार बोलो जय माता की।।

माँ को चाहिये भावों के भक्तों

का सत्कार बोलो जय माता की

माँ भरती सबकी झोली

कोई जाता ना खाली

माँ का सारा जग संतान बोलो

जय माता की।।

दुखियों का सहारा माँ के

दरबार न कोई हारा माँ ही

जीवन आधार बोलो जय माता की।।

माँ की महिमा जो निश दिन गावे

माँ बेड़ा पार लगावे माँ कर्म धर्म

संसार बोलो जय माता की।।

 माँ के हैं रूप अनेकोँ वात्सल्य

व्यवहार बोलो जय माता की।।

अपराध क्षामां करती

अवसर देती बार बार 

बोलो जय माता की।।

दुष्ट दानव कर जाए जब

हद पार माँ रूप विकट काल विकराल

बोलो जय माता की।।

माँ अष्टभुजी,माँ हंस वाहिनी

माँ शेर पर सवार बोलो जय माता की।।


2-------जग जननी माँ-----


जग जननी 

दुःख हरणी ,मंगल करनी तू तारण

हारी तू सकल जगत संसार माँ।।

दुष्ट विनासक, भय भव भंजक

पल, प्रहर अविरल युग प्रवाह माँ।।

जग जननी तू सकल जगत संसार माँ।।

पाप विनासनी मोक्ष दायनी 

जगत कल्याणी युग गति व्यवहार माँ।

जग जननी तू सकल जगत संसार माँ।।

अपराध क्षामं करती चाहे जो भी

गलती तेरी ही संतान युग संसार माँ

 माँ तेरी महिमा ब्रह्मा ,विष्णु, शंकर

गाये तेरी महिमा अपरंपार माँ।।

जग जननी तू सकल जगत संसार माँ।।

देवोँ की देवी स्वर्ग ,नर्क उद्धार माँ

धन ,बैभव ,शुख संपत्ति दाता

तुझे नित दिन जो धावे तेरा ही ध्यान लगाएं सकल मनोरथ पावे।

भव सागर से तू ही करती बेड़ा पार माँ।।

स्वांस प्राण आधार माँ

जग जननी तू सकल जगत आधार माँ।।

भक्तो की शक्ति तू अवनि आकाश

ब्रह्मांड माँ जग जननी तू सकल जगत

संसार माँ।।

तू पार्वती राधा ,रुक्मणि अर्धनारीश्वर

ईश्वर की श्रृंगार माँ जग जननी तू सकल जगत संसार माँ।।

तू माता ममता तेरा आँचल हम बालक

नादान माँ जग जननी तू सकल जगत

संसार माँ।।


3--जै जै जै अम्बे-------


अम्बे तेरा दर्शन दुर्लभ दौलत

अम्बे तेरा मुखड़ा हरता दुखड़ा

अम्बे तेरे आशीष का है संसार

अम्बे तेरे रूप हाथ हजार।।

अम्बे तू ही दुःखियों की साहरा

अम्बे तू ही करती बेड़ा पार।।

अम्बे तेरी भक्ति में ही शक्ति

अम्बे तू ही कृपाल दयाल।।

अम्बे तू ही करुणा की है सागर

अम्बे तू ही है दीन दयाल।।

अम्बे तू ही जीवन का आधार

अम्बे तेरी भक्ति भाग्य सैभाग्य।।

अम्बे तू ही जननी पालन हार

अम्बे तू ही दुष्टो का संघार।।

अम्बे तू ही नारी की है शक्ति 

अम्बे तू ही सृष्टि संसार।।

अम्बे तू ही भक्तों की है भक्ति

अम्बे तू ही अवनि आकाश।।

अम्बे तू ही नदियां सागर 

अम्बे तू ही वायु और तूफान।।

अम्बे तू ही शुख शांति की लक्षमी

अम्बे तू ही ममता और दुलार।।

अम्बे हम तो बालक है नादान

अम्बे हम गाते तेरा गुण गान।।

अम्बे तू ही क्षमा की सागर

अम्बे बालक का जो अपराध।।


4--पाप। बिनासनी माँ-----


कष्ट निवारिणी पाप नाशिनी माँ

जय जय जय दुर्गे सकल मनोरथ

दायनी माँ।।

दुर्लभ ,सुगम शुभ मंगल करती

अंधकार की ज्योति माँ।

जय जय जय दुर्गे सकल मनोरथ दायनी माँ।।

आगम ,निगम पुराण तेरी 

महिमा गावैं जग कल्याणी माँ

जय जय जय दुर्गे सकल मनोरथ

दायनी माँ।।

खड्ग ,त्रिशूल ,घंटा ,खप्पर ,पदम् चक्र वज्र धारिणी रौद्र रूप की काली माँ

जय जय जय दुर्गे सकल मनोरथ

दायनी माँ।।


संसय हरणी संकल्प की जननी

भक्ति की शक्ति निर्विकार की हस्ती

माँ जय जय जय दुर्गे सकल मनोरथ दायनी माँ।।

तेरे द्वारे जो भी धावे मनवांच्छित फल

पावे भोग भाग्य की दाता माँ

जय जय जय दुर्गे सकल मनोरथ

दायनी माँ।।

पापी अधम का बढ़ता अत्याचार तब तब काल दंड काअवतार 

युग धरती हरति संताप माँ

जय जय जय दुर्गे सकल मनोरथ

दायनी माँ।।

शोक ,रोग से निर्भय करती

विघ्न विनासानी विध्यवासिनी

मां जाय जय जय दुर्गे सकल मनोरथ

दायनी माँ।।


5---माईया आओ घर द्वारे-----

 

माईया पधारों घर द्वारे

भक्तों का है इंतज़ार

घर घर तेरा मंडप सजा है

माईया के स्वागत का दिन रात।।


माईया तेरे रूपों का संसार

माईया तू ही अवनि की अवता6र पर्वत बाला बुद्धि ,बृद्धि का स्वर संसार 

माईया पधारो घर द्वारे भक्तो को

है इंतज़ार।।


माईया तू ही ज्ञान, ध्यान, विज्ञान

ब्रह्म आचरण ब्रह्म चारिणी विधि विधान बुद्धि पराक्रम प्रबाह

माईया पधारों घर द्वारे भक्तों को

है इंतज़ार।।


माईया तू ही चंद्र हास शक्ति बल

बुद्धि का विकास माईया तू ही दानवता का विनाश चंद्र माथे

घंटा खड़क त्रिशूल हाथ माईया पधारों घर द्वारे

भक्तों को हैं इंतज़ार।।


माईया शुभ मंगल का है गान

तेरा आगमन झूमे गाये संसार

मिट गए सारे अंधकार कूष्माण्डा

का गुणगान माईया पधारों घर द्वारे

भक्तों को है इंतज़ार।।


माईया चहुँ ओर खुशहाली

माईया कर्म ,धर्म ,मर्म ,मान

दुष्टो का विनाश स्कन्ध

माता का आगमन जग कृतार्थ

माईया पधारों घर द्वारे भक्तों

को है इंतज़ार।।


माईया जग सारा तेरा मंदिर

युग का प्राणी बालक नादान

माईया बल ,बुद्धि ,बैभव का वरदान

दुष्ट ,दुष्कर्म ,दुःसाहस का नाश मां

कात्यानी जग माँ है तू प्राण

माईया पधारों घर द्वारे भक्तों को

है इंतज़ार।।


माईया तू ही सत्य सन्ध ,सत्य 

सत्यार्थ माईया तेरा जग जाहिर न्याय

अन्याय दानव का है तू काल 

भक्तो की रक्षा राक्षस संघार

तू ही काली काल माईया पधारो

घर द्वारे भक्तोंको है इंतज़ार।।


युग गरिमा गौरव गौरी

भक्ति ,शक्ति का विश्वास

वरदान पूजा ,वंदन ,अभिनंदन

महा गौरी धाम पधार माईया

पधारो घर द्वारे भक्तों को है

इंतज़ार।।


सकल मनोकामना दायनी

रिद्ध सिद्धि दायनी भय

भव भंजक निर्भय कारी

सिद्धदात्री माँ नौ रूप नवधा

भक्ति नवग्रह सहित विराजै

माईया पधारो घर द्वारे भक्तों

का हैं इंतज़ार।।




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