लोग करते नहीं भरोसा..
लोग करते नहीं भरोसा..
लोग करते नहीं भरोसा सादगी पर मेरी
कहते हैं नक़ाब लगाए रखती हो
होता ही नहीं कोई ऐसा जैसा तुम
खुद को दिखाए फिरती हो...
लोग करते नहीं भरोसा ईमानदारी पर मेरी
कहते हैं तुम ढोंग बनाए फिरती हो
मौका मिलने पर कर कौन नहीं लेता हाथ साफ
तुम शायद बड़े मौके की आस लगाए रखती हो
लोग करते नहीं भरोसा चुप्पी पर मेरी
कहते हैं कोई राज लबों में दबाये रखती हो
रहता ही नहीं कोई इतना चुप...
तुम ज़रूर कोई बात छुपाये रखती हो..
लोग करते नहीं भरोसा नादानी पर मेरी
कहते हैं तुम नादान बन ग़लतियाँ
अपनी छुपाये फिरती हो
होता नहीं कोई इतना नादान
जितना तुम खुद को दिखाए फिरती हो
लोग करते नहीं भरोसा बातों पर मेरी
कहते हैं तुम हमें पागल बनाए रखती हो
भरोसा दिलाती हो और सबूत छुपाये रखती हो..
लोग करते नहीं भरोसा सादगी पर मेरी
कहते हैं तुम नक़ाब लगाए रखती हो...
रहती हो जो इतना चुप
ज़रूर कोई राज छुपाये रखती हो...