लौकी दीदी की बारात
लौकी दीदी की बारात
भिंडी, तुरई कर रहे बात
लौकी दीदी की है बारात।
दूल्हे बने कद्दू राजा
आये हैं लौकी के घर
लौकी बेचारी छुप जाती
लजा-लजा और शरमाकर।
बैंगन, टमाटर, आलू
बने बराती आये हैं
कटहल शलजम के ढोल नगाड़े
आज सभी को भाये हैं।
नाच रही है देखो
मूली नर्तकी ठुमक-ठुमक
मटर की फलियाँ भी
गा रही हैं देखो हुमक-हुमक।
प्याज बना हलवाई
पका रहा है हलुवा
शकलकंद और गाजर भी
दिखा रहे हैं जलवा।
मिर्च बिचारी खड़ी-ख़डी
शरमा रही है देखो
खाना परोसने में भी
घबरा रही है देखो।
गोभी के हँस-हँसकर
आने लगे हैं आंसू
राई पालक दोनों
काम कर रहे धांसू।
भिंडी, तुरई कर रहे बात
लौकी दीदी की है बारात।
