कविता- कोई तलवार नहीं |
कविता- कोई तलवार नहीं |
काट सके शान तिरंगा बनी ऐसी कोई तलवार नहीं
अखंड किया भारत जैसा पटेल कोई सरदार नहीं,
लाख चाहा दुशमन सर भारत मगर झुका न सका
घर घुस चुकाया बदला ,बनी कोई ऐसी सरकार नहीं,
हिन्द कभी जो टकराएगा चूर चूर वो हो जाएगा
डरा देंगे जवान सिंह गर्जना बात कोई इंकार नहीं,
हर बालक योद्धा राणा हर कन्या लक्ष्मी बाई है
तौल देंगे भुजाओं, बैरी जरूरत कोई हथियार नहीं,
फौलादी बदन वतन वीरों सीना छप्पन इंची है
किया माफ कभी पर माफी इनको इस बार नहीं,
आया बन के दुशमन कोरोना इसको भी हराएंगे
जीत जाएँगे जंग कोरोना, छोड़ना तुम घरबार नहीं,
चीन पाक दुशमन संग नेपाल सर उठाने लगा
मानोगे दोस्त मांनेगे बदले धोखा कोई सत्कार नहीं।