किसने रोका है
किसने रोका है
आरजू अपनी पूरी करने को
किसने तुमको रोका है
अभिलाषाओं की छाया बनने को
किसने तुमको टोका है।।
अधूरे सपने पूरे करने
किसने तुमको रोका है
कर्मठ हो आगे बढ्ने को भी
किसने तुमको टोका है।।
नफरत को जड़ से मिटाने को
किसने तुमको रोका है
खुद को एक बार आजमाने को भी
किसने तुमको टोका है।।
अथाह ज्ञान के सागर में
गोता लगाने का मौका है
सारे जग का तम मिटाने को
किसने तुमको टोका है।।
इश्क़ और फरेब में अंतर कितना
वफा को किसने रोका है
दुनियाँ में छा जाने को भी
किसने तुमको टोका है।।
सितारा बन चमको जीवन में
कुछ नया करने को किसने रोका है
उतार-चढ़ाव है हर जिंदगी में
ना इससे कोई अछूता है।।