ख़ुदग़र्ज़ बनने की तमन्ना

ख़ुदग़र्ज़ बनने की तमन्ना

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आज फिर खुदगर्ज़ बनने की तमन्ना जागी है,

आज भी खुद के लिए जीने की ख्वाहिश बाकी है।


आज फिर बेफ़िक्री का जाम छलकाना है,

आज भी बेपरवाह साकी की तलाश बाकी है।


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