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Udbhrant Sharma

Others

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Udbhrant Sharma

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कबीर- एक गज़ल

कबीर- एक गज़ल

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हिन्दू की मुसलमान की आवाज़ है कबीर

धड़कन में जो बजता है ऐसा साज़ है कबीर

नफ़रत के परिन्दों से आसमान भर गया

ऐसे परिन्दों के लिऐ तो बाज़ है कबीर

जिन मुगलों ने लूटा था सरेआम देश को

उनके लिऐ ऐ दोस्त! रामराज है कबीर

अब छा गऐ मिसाइल चारों ओर दोस्तों!

क्यों फ़िक्र करो आप- राजकाज है कबीर

चीज़ों की क़ीमतें तो आसमान छू रहीं

मुफ़लिस की ज़िन्दगी के लिए प्यार है कबीर


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