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Meenakshi Sharma

Others

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Meenakshi Sharma

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जय श्री गणेशा

जय श्री गणेशा

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चतुर्भुजाधारी करते मूषक सवारी, तुम हो श्री गणेशा, तुम हो मंगलकारी,

माता पार्वती तुम्हारी ,पिता श्री भोले भंडारी ।चतुर्भुजाधारी----------सवारी।

माता पार्वती के प्यारे, जग में हो सबसे न्यारे,

सर्वप्रथम पूजित देव तुम, गणपति देव हमारे ।

रिद्धि सिद्धि माताएं हैं, अर्धांगिनी तुम्हारी। चतुर्भुजाधारी----------सवारी।

शुभ फल दाता, भाग्य विधाता ,

तेरी शरण ,जो भी आता ।

मनोवांछित फल ,वह तो पाता।

तुम हो विघ्नहर्ता, सर्व सुख -कर्ता, शौर्य ,बल -दायक, सिद्धिविनायक, करते सर्व कष्ट निवारण,

जो आए शरण तुम्हारी।चतुर्भुजाधारी---------सवारी। 

पृथ्वी की परिक्रमा ,कार्तिकेय जी कर आए ,

तब निज बुद्धि से सोचा ,गणेश ने उपाय ।

निज मात पिता की ,सप्त वार परिक्रमा गणेश लगाएं ।

जब माता ने पूछा ,मंद मंद गजानन मुस्काए ,

बोले मात-पिता में पूर्ण संसार है बसता, फिर मात मेरी मैं क्यों इधर-उधर भटकता?

 तव बुद्धि बल से, मात पिता अति हर्षाए।

सबसे पूज्य तुम हो, तुम हो बलकारी, सब पर पडते गणेशा तुम भारी।

चतुर्भुजाधारी---------सवारी। 



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